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INS विराट को ‘बचाने’ की उम्मीद खत्म, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की म्यूजियम बनाने वाली अपील

INS Viraat

INS Viraat

नई दिल्ली। INS विराट  (INS Viraat) 29 साल तक भारतीय सेना का हिस्सा रहा। इसे तोड़ने की जगह म्यूजियम बनाने की मांग की गई थी लेकिन कोर्ट ने वजह बताते हुए याचिका को खारिज किया।

करीब तीन दशक तक भारतीय नौसेना की शान बने रहने वाले विमान वाहक पोत ‘विराट’ (INS Viraat) को आखिकार अब पूरी तरह तोड़ा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इसको तोड़ने पर रोक लगाने वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया है। आईएनएस विराट को साल 2017 में नेवी से बाहर किया गया था। इसके बाद इसे तोड़ा जाना था लेकिन एक याचिका दायर करके इसको तोड़ने की जगह म्यूजियम बनाने की मांग की गई थी। लेकिन कोर्ट ने पाया कि याचिका दायर होने के पहले ही INS विराट (INS Viraat) का 40 फीसदी हिस्सा तोड़ा जा चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस विमान वाहक पोत को आगे तोड़ने से रोकने का आदेश दिया हुआ था, जिसको अब वापस ले लिया गया है। कोर्ट ने यह आदेश इसलिए वापस ले लिया क्योंकि चीफ जस्टिस बोबडे की बेंच ने पाया कि आईएनएस विराट का 40 फीसदी भाग पहले ही डिसमेंटल किया जा चुका है।  वहीं रक्षा मंत्रालय ने भी म्यूजियम बनाने की मांग को पहले ही खारिज कर दिया था।

इससे पहले कोर्ट ने बुधवार (10 फरवरी) को विमान वाहक पोत ‘विराट’ की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इस विमान वाहक पोत ने भारतीय नौसेना में करीब तीन दशक तक सेवा दी है और इसे अब सेवा से बाहर कर दिया गया है। पोत को अब आगे तोड़ा जाना था लेकिन एक कंपनी ने इसपर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी।

29 साल तक भारतीय सेना में रहा INS विराट

सेंटूर क्लास एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट 29 साल तक भारतीय नौसेना में रहा और मार्च 2017 में इसे सेवा से हटा दिया गया। केंद्र ने जुलाई 2019 को संसद को सूचित किया था कि भारतीय नौसेना के साथ सलाह मशविरा के बाद ‘विराट’ को कबाड़ में देने का फैसला किया गया।

खबरों के मुताबिक, बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘जहां तक राष्ट्रवाद की बात है, हम आपके साथ हैं, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। सरकार अपना फैसला ले चुकी है।’

विराट को नेवी का म्यूजियम बनाने की बात एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने की थी। INS विराट को 38 करोड़ रुपये में श्री राम शिप ब्रेकर कंपनी को बेचा गया था। एनविटेक मरीन इसे वापस खरीदने के लिए 100 करोड़ का ऑफर दे रही थी।

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