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डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 10 पायदान खिसका, नागरिक स्वतंत्रता की वजह से लगा झटका

डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 10 पायदान खिसका

डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 10 पायदान खिसका

नई दिल्ली। डेमोक्रेसी इंडेक्स की वैश्विक रैंकिंग में मोदी सरकार के लिए बीते मंगलवार को बुरी खबर आई है। द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट के अनुसार 2019 के डेमोक्रेसी इंडेक्स की वैश्विक रैंकिंग में भारत 10 पायदान खिसक कर 51 वें स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, नागरिक स्वतंत्रता में कमी की वजह से भारत के डेमोक्रेसी स्कोर में गिरावट आई है।

2019 में भारत का डेमोक्रेसी स्कोर 6.9 रहा, जो 13 साल में सबसे निचले स्तर पर

2019 में भारत का डेमोक्रेसी स्कोर 6.9 रहा, जो 13 साल में सबसे निचले स्तर पर है। द इकोनॉमिस्ट ने मंगलवार को 165 देशों की डेमोक्रेसी लिस्ट जारी की। द इकोनॉमिस्ट ने 2006 में डेमोक्रेसी इंडेक्स जारी करना शुरू किया था। तब से अब तक 13 साल में यह भारत का सबसे कम डेमोक्रेसी स्कोर है। 2014 में यह सबसे ज्यादा 7.92 था।

इन पांच बिंदुओं के आधार पर जारी की जाती है रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच कारणों की वजह से डेमोक्रेसी इंडेक्स की वैश्विक रैंकिंग में गिरावट आई है। चुनावी प्रक्रिया और अनेकता की स्थिति, सरकार की कार्यप्रणाली, राजनीतिक भागीदार, राजनीतिक संस्कृति और सामाजिक स्वतंत्रता जैसे पांच बिंदुओं के आधार पर रिपोर्ट जारी की जाती है।

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डेमोक्रेसी इंडेक्स में पहले स्थान पर है नॉर्वे

इस सूची में पहले स्थान पर नॉर्वे का नाम है। उसके बाद आइसलैंड और स्वीडन का नंबर आता है। शीर्ष 10 में अन्य देशों में चौथे स्थान पर न्यूजीलैंड, फिनलैंड (5वें), आयरलैंड (6वें), डेनमार्क (7वें), कनाडा (8वें), ऑस्ट्रेलिया (9वें) और स्विट्जरलैंड (10वें) शामिल हैं।

आखिरी स्थान पर उत्तर कोरिया

इस सूची में उत्तर कोरिया 167 वें स्थान पर वैश्विक रैंकिंग में सबसे नीचे है। इस सूची में पाकिस्तान 4.25 के स्कोर के साथ 108वें स्थान पर है, जबकि श्रीलंका 6.27 के स्कोर के साथ 69वें स्थान और बांग्लादेश 5.88 स्कोर के साथ 80वें स्थान पर है।

चीन की स्थिति भी खराब

2019 के सूचकांक में चीन का स्कोर गिरकर 2.26 हो गया है। वह वैश्विक रैंकिंग में अब 153 वें स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में, विशेष रूप से शिनजियांग के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव तेज हो गया है। 2019 में जनता की डिजिटल निगरानी जारी रही जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बाधा को दर्शाती है।

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