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ईमानदार महिला ऑफिसर जान देकर चुकाई कीमत, शुरू हुआ राष्ट्रीय अवार्ड

डॉ. नेहा शौरी

डॉ. नेहा शौरी

नई दिल्ली। पंजाब के खरड़ में एक महिला अधिकारी ने ईमानदारी की कीमत अपनी जान गंवाकर चुकाई थी। इस अधिकारी की हत्या के नौ माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक उनके परिवार को इंसाफ का इंतजार है, लेकिन अब इस महिला अधिकारी के नाम पर राष्ट्रीय अवार्ड की शुरूआत को गई है। हम डॉ. नेहा शौरी की कहानी बता रहे हैं ।

आइए बतातें हैं क्या था पूरा वाकया?

पंजाब के खरड़ में फूड एंड केमिकल टेस्टिंग लैब में डॉ. नेहा शौरी की हत्या उनके दफ्तर में घुसकर कर दी गई थी। इस हत्याकांड में भले ही डॉ. नेहा शौरी के माता-पिता इंसाफ के लिए भटक रहे हैं ,लेकिन उनके नाम पर एक राष्ट्रीय अवार्ड की शुरुआत हो चुकी है। संयोग ही है कि जिस दिन यह अवार्ड दिया जाना है, उसी दिन इस हत्याकांड की स्टेटस रिपोर्ट सरकार हाईकोर्ट में दाखिल करेगी।

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ऑल इंडिया ड्रग कंट्रोल ऑफिसर्स कान्फेडरेशन ने जोनल ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी नेहा शौरी के नाम पर राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड शुरू किया है। पहला नेहा शौरी अवार्ड फॉर बेस्ट वुमेन ड्रग कंट्रोल ऑफिसर सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन में कार्यरत विसाला अन्नम को दिया जाएगा।

चेन्नई में इंडियन फार्मास्युटिकल कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में 20 दिसंबर को यह पुरस्कार दिया

चेन्नई में इंडियन फार्मास्युटिकल कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में 20 दिसंबर को यह पुरस्कार दिया जाना है। एक ओर तो नेहा शौरी के नाम पर अवार्ड शुरू कर उसकी ईमानदार कार्यशैली को सम्मान दिया गया है। वहीं नौ महीने बीत जाने के बाद भी नेहा शौरी हत्याकांड के बाद उठे सवालों का जवाब नहीं मिल सका है। परिवार को आज भी न्याय का इंतजार है।

नेहा के परिजन सीएम से लेकर पीएमओ तक गुहार लगा चुके हैं। सरकार ने एसआईटी से जांच कराई लेकिन सवालों का जवाब नहीं मिल पाया। उल्लेखनीय है कि पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए नेहा के माता- पिता ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने पुलिस से जांच की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। शुक्रवार को सरकार स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में दे सकती है।

30 मार्च को हुई थी डॉ. नेहा शौरी की हत्या

सिविल अस्पताल खरड़ स्थित फूड एंड केमिकल टेस्टिंग लैब में घुसकर जोनल लाइसेंसिंग अथॉरिटी डॉ. नेहा शौरी की 30 मार्च को हत्या कर मोरिंडा निवासी आरोपी बलविंदर सिंह ने खुद भी जान दे दी थी। आरोपी बलविंदर साल 2009 में मोरिंडा में जसप्रीत मेडिकल स्टोर नाम की केमिस्ट शॉप चलाता था। उस समय डॉ शौरी रोपड़ में ड्रग इंसपेक्टर के तौर पर तैनात थीं।

बता दें ​कि डॉ. शौरी ने 29 सितंबर 2009 को जसप्रीत मेडिकल स्टोर पर छापा मारा था। इस दौरान नशे में प्रयोग होने वाली 35 तरह की दवाइयां आरोपी के स्टोर से बरामद हुई थीं। इसके चलते डॉ. शौरी ने जसप्रीत मेकिडल स्टोर का लाइसेंस रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि डॉ. नेहा शौरी के साथी कर्मचारी ही नहीं, बल्कि परिवार भी यह मानने को तैयार नहीं है कि कोई कैसे 10 साल तक रंजिश अपने मन में रख सकता है? इसके पीछे जरूर कोई दूसरा कारण होगा। पुलिस इस मामले में जांच की कोई जानकारी पीड़ित परिवार को नहीं दे रही है। ऐसे में पुलिस को जांच पूरी करने के निर्देश दिए जाएं।

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