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होली 2020: थैरेपी के जैसे काम करता है ये रंग, जानें क्या है इसके पीछे का विज्ञान

Holi

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लाइफस्टाइल डेस्क। होली के त्याहौर में रंग का सबसे अहम रोल होता हैं, बिना रंगों के ये होली पूरी फीकी सी लगती है आवर इसीलिए इस त्यौहार को रंगों का त्यौहार कहा जाता है। हालांकि इस त्यौहार में रंग के साथ ही साथ पकवानों का भी उतना ही रोल होता है। वैसे तो कुछ लोगों को रंग बिल्कुल भी नहीं पसंद होते हैं, जबकि कुछ लोग इन रंगों के बेहद शौकीन होते है।

जिन लोगों को ये रंग पसंद नहीं होते हैं या जिनके मन में रंगों को लेकर गलत विचारधारा पली होती है आज ये खबर उन्ही लोगों के लिए है। दरअसल, वैज्ञानिकों का कहना है कि होली में इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग रंग एक तरह से थैरेपी की तरह काम करते हैं। अलग-अलग रंग शरीर और दिमाग को संतुलित रखते हैं।

साथ ही आपके दिमाग को बूस्ट भी करते हैं। इजिप्ट और चीन में इसका इस्तेमाल पुराने समय से इसका उपयोग इलाज के तौर पर किया जा रहा है। मौजूदा समय में देश में भी कई जगहों पर इस थैरेपी को अपनाया जा रहा है। तो आइए, जानते हैं रंगों के पीछे का क्या है विज्ञान क्या कहता है…..

पीला रंग

यह रंग मानसिक उत्तेजना के साथ नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है। यह पेट और स्किन के साथ मांसपेशियों को भी ताकत देता है। इसके अलावा पेट खराब होने और खाज खुजली के मामलों में पीला रंग फायदा पहुंचाता है।

नारंगी

नीला रंग उत्साह को बढ़ाकर फेफड़ों को मजबूत बनाता है। इसलिए नारंगी रंग अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस और किडनी इंफ्केशन के मामलों में उपयोगी साबित होता है।

लाल रंग

यह रंग गर्म प्रकृति का होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल दर्द के इलाज के लिए बेहतर माना गया है। यह एड्रिनेलिन हार्मोन को बढ़ावा देता है। अनिद्रा, कमजोरी और रक्त से जुड़े रोगों में राहत देता है। इसके अलावा हर रंग प्रकृति के रंग से मिला-जुला होता है और आंखों को सुकून पहुंचाता है। हार्मोन को संतुलित रखने के साथ शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

नीला रंग

इस रंग को ठंडा रंग माना जाता है और हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। कलर थैरेपी में इसका इस्तेमाल सिरदर्द, सूजन, सर्दी और खांसी के उपचार में किया जाता है।

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