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हरिद्वार में मीट बैन से नाराज हाईकोर्ट! जज बोले- तो क्या अब सरकार तय करेगी की लोग क्या खाएं?

हरिद्वार जिले में मीट बैन को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दो याचिका पर सुनवाई की और मांस मुक्त शहर बनाने संबंधी मामले पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- लोकतंत्र का अर्थ केवल बहुसंख्यकों का शासन ही नहीं बल्कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना भी है। चीफ जस्टिस आरएस चौहान ने कहा- किसी भी सभ्यता की महानता का पैमाना यही होता है कि वह अपने देश के अल्पसंख्यकों के साथ कैसा बर्ताव करती है।

हरिद्वार में मांस बैन की जो बात हो रही है उससे यही बात सामने आती है कि क्या नागरिकों की पसंद, उनके खानपान राज्य तय करेगा। कोर्ट ने 21 जुलाई को होने वाली बकरीद को लेकर किसी तरह के आदेश देने के बजाय अगली तारीख 23 जुलाई तय कर दी है।

हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में हरिद्वार क्षेत्र में बिना लाइसेंस खुली मीट की दुकानों पर प्रशासन नकेल नहीं कस पा रहा है। वहीं जिले में स्लाटर हाऊस न होने के कारण कई जगह खुलें में ही मांस काटा जाता है। वहीं हर सप्ताह विभिन्न स्थानों पर लगने वाले पीठ बाजार में सार्वजनिक तौर ही मांस काटा जाता है।

हरिद्वार नगर निगम ज्वालापुर क्षेत्र में 60 से अधिक मांस की दुकानें हैं। शिवालिक नगर पालिका और भेल क्षेत्र में भी कई मांस की दुकाने होने के साथ ही बहादराबाद, पथरी और लालढांग के ग्रामीण क्षेत्रों में भी मांस की कई दुकानें हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर के पास लाइसेंस नहीं है।

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ज्वालापुर की चर्चित बकरा मार्केट में भी दुकान संचालकों के पास खाद्य सुरक्षा विभाग का लाइसेंस नहीं है। लोगों ने कई बार मांस की दुकानों को बंद कराने की मांग उठाई थी। विश्व हिंदू परिषद में नेता चरणजीत पाहवा ने अवैध मांस की दुकानों को बंद कराने की मांग को लेकर पुलिस प्रशासन के सामने ही खुद को आग लगा दी थी। इसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए करीब नौ मांस की दुकानों को नोटिस भेजा। अब हाईकोर्ट ने भी कुछ दिन पूर्व अवैध मांस की दुकानों को बंद करने का आदेश दिए हैं।

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