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जंगलों में लगी आग रिहायशी इलाके तक पहुंची, ग्रामीण घर छोड़ने को हुए मजबूर

Forest Fire

Forest Fire

मसूरी/पौड़ी। उत्तराखंड में मौसम का पारा चढ़ने के साथ ही जंगलों में आग की घटनाएं भी बढ़ती जा रही है। ताजा मामला पहाड़ों की रानी मसूरी के आसपास का है। कैंपटी क्षेत्र के जंगलों में शनिवार को भीषण आग लग गई थी, जो धीरे-धीरे रिहायशी इलाके की ओर बढ़ रही है, जिससे लोग दहश्त में हैं।

वन विभाग हर साल वनाग्नि पर काबू पाने के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनाता हैं, लेकिन धरातल पर उन योजनाओं का कोई असर देखने को नहीं मिलता है।

वन विभाग हर साल वनाग्नि पर काबू पाने के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनाता है, लेकिन धरातल पर उन योजनाओं का कोई असर देखने को नहीं मिलता है। गर्मी बढ़ने के साथ ही वनाग्नि की घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। शनिवार दोपहर एक बजे के आसपास कैंपटी क्षेत्र के जंगलों में आचनक आग लग गई थी।

स्थानीय लोगों ने आग पर काबू पाने का काफी प्रयास किया, लेकिन आग रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ रही थी। आग लगने के करीब एक घंटे बाद तक भी वन विभाग और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर नहीं पहुंची जिससे लोग दहशत में थे। डर के मारे कई लोग तो घर छोड़कर चल गए है।

डीएफओ मसूरी कहकशां नसीम ने बताया कि कैंपटी क्षेत्र के आसपास के जंगलों में लगी आग की सूचना के बाद मसूरी वन विभाग की टीम को मौके के लिये रवाना किया जा चुका है। वहीं फायर सर्विस की टीम भी रवाना कर दी गई है। जंगल में आग लगने का कारण के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है। ऐसे में उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया है कि अगर किसी असामाजिक तत्वों द्वारा आग लगाई है तो उसका नाम प्रशासन और वन विभाग को बताएं जिससे उन लोगों पर कार्रवाही की जा सकें। नाम बताने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा। वहीं उसको जिला प्रशासन की ओर से 10 हजार का इनाम भी दिया जायेगा।

पौड़ी में अधिकारियों ने की बैठक

वनाग्नि के बढ़ते मामलों को देखते हुए वन विभाग की भी चिंता बढ़ गई है। पौड़ी जिले के नोडल अधिकारी नरेश कुमार ने वन विभाग के दोनों डीएफओ के साथ कर आवश्कय दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को वनाग्नि पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि विभाग के पास उपकरण और वाहन से संबंधित कोई समस्या है, तो वे आपदा प्रबंधन से मदद ले सकते हैं। यदि विभाग के पास वाहनों की कमी है तो किराए पर भी गाड़ियों को लिया जा सकता है। आग बुझाने की प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई ढिलाई न बरती जाए।

पौड़ी में वनाग्नि को लेकर बैठक

इसके अलावा उन्होंने वन पंचायत स्तर पर अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने को कहा है। प्रचार प्रसार से लोगों को आग के लगने के कारणों और इसे दुष्प्रभाव की भी जानकारी दी जाए। जंगलों में लगने वाली आग से वन संपदा, पर्यावरण और वन्यजीवों को भी से नुकसान हो रहा है। साथ ही आने वाले समय में हमारे प्राकृतिक जल स्रोत पूरी तरह से सूख जाएंगे जिससे पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

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