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यौन उत्पीड़न के मामले में गोगोई का खुद सुनवाई करना कानूनन गलत : संतोष हेगड़े

यौन उत्पीड़न

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नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में खुद सुनवाई करना कानून और नैतिकता के लिहाज से पूरी तरह गलत है। य​​ह बता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एन संतोष हेगड़े ने मंगलवार को कही। हेगड़े ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा सीजेआई के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते ,क्योंकि वे इनकी सत्यता को नहीं जानते।

सवाल है कि क्या प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को उस पीठ में बैठना चाहिए था?

देश के सॉलीसिटर जनरल और कर्नाटक के पूर्व महाधिवक्ता हेगड़े ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने जो किया, वह कानून और नैतिकता के लिहाज से पूरी तरह गलत है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण भी इस मामले में सीजेआई को भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं। बता दें कि सवाल है कि क्या प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को उस पीठ में बैठना चाहिए था? जिसने उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में सुनवाई की? सीजेआई ने हालांकि सुनवाई के बीचों-बीच खुद को इससे अलग कर लिया और न्यायिक आदेश पारित करने का फैसला उन दो न्यायाधीशों के ऊपर छोड़ दिया। जिन्हें पीठ में शामिल होने के लिए नामित किया गया था।

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सीजेआई के तीन न्यायाधीशों की पीठ में बैठने में कुछ भी गलत नहीं

कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता इस मुद्दे पर बात करने पर सहमत हुए, लेकिन उन्होंने अपने नामों का खुलासा नहीं करने को कहा। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ विधि अधिकारी ने कहा कि सीजेआई के तीन न्यायाधीशों की पीठ में बैठने में कुछ भी गलत नहीं है, क्योंकि वह पहले ही साफ कर चुके थे कि वह न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं होंगे। यह आदेश पीठ के दो अन्य न्यायाधीशों ने पारित किया।

सीजेआई की इस चिंता की भी जांच हो कि कुछ बड़ी ताकतें इसमें शामिल

उधर, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य राजीव गौडा ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच दोनों पक्षों के नजरिये से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अहम है कि सभी संबंधित पक्षों के साथ न्याय होना चाहिए, पूरी प्रक्रियाओं का पालन हो और सीजेआई की इस चिंता की भी जांच हो कि कुछ बड़ी ताकतें इसमें शामिल हैं।

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गौड़ा ने कहा कि यह बड़ा घटनाक्रम और यौन उत्पीड़न का मुद्दा बहुत गंभीर विषय

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि गोगोई के ‘यौन पहल कदमी’ से इंकार करने के बाद उसे सेवा से हटा दिया गया। गौड़ा ने कहा कि यह बहुत गंभीर घटनाक्रम है और यौन उत्पीड़न का मुद्दा बहुत गंभीर विषय है। यह बेहतर तरीके से पता करने की जरूरत है कि असल में क्या हुआ था।

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