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राज्यसभा के मार्शल वर्दी पर विवाद, पूर्व सेना प्रमुख और केंद्रीय मंत्री ने जताया विरोध

राज्यसभा के मार्शल वर्दी पर विवाद

राज्यसभा के मार्शल वर्दी पर विवाद

नई दिल्ली। राज्यसभा के 250वें सत्र के प्रारंभ होने पर आसन का नजारा कुछ बदला सा लग रहा था। यह बदलाव राज्यसभा सभापति की सहायता के लिए मौजूद रहने वाले मार्शलों की नयी वर्दी में दिखा। राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार को शुरू होते ही विपक्षी दलों ने वर्दी पर सवाल उठा दिए है। उनका कहना है कि मार्शल की वर्दी सेना की तरह दिख रही है। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा है कि नई ड्रेस हर किसी से सलाह लेने के बाद तैयार की गई है। हालांकि विपक्ष के भारी हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

सूत्रों के मुताबिक मार्शल की ड्रेस में बदलाव को लेकर फैसला छह महीने पहले लिया गया था। दरअसल राज्यसभा में लोगों को मार्शल और बाकी वार्ड स्टाफ और पहरेदार के बीच अंतर पता नहीं चलता था। ऐसे में ड्रेस बदल कर मार्शल को अलग पहचान देने की कोशिश की गई है।

राज्यसभा के मार्शलों की नई ड्रेस को लेकर विवाद शुरू हो गया है। सेना के पूर्व प्रमुखों ने इस पर आपत्ति जताई है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने ट्वीट कर कहा कि मिलिट्री यूनिफॉर्म की नकल करना और किसी गैर-सैन्यकर्मी के द्वारा उसे पहनना अवैध है। यह सुरक्षा व्यवस्था को खतरा है।

उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यसभा सचिवालय जल्द कोई उचित फैसला लेंगे। वहीं इस मामले में मलिक को बीजेपी सरकार के मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का भी साथ मिला है। वीके सिंह ने भी मार्शलों की ड्रेस को आर्मी जैसी करने को गलत करार दिया।

बता दें कि आम तौर पर उच्च सदन की बैठक आसन की मदद करने वाले कलगीदार पगड़ी पहने किसी मार्शल के सदन में आकर यह पुकार लगाने से शुरू होती है कि माननीय सदस्यों, माननीय सभापति जी। लेकिन सोमवार को इन मार्शलों के सिर पर पगड़ी की बजाय गहरे हरे रंग : ऑलिव ग्रीन : की ‘पी-कैप’ थी। इसके साथ ही उन्होंने गहरे हरे रंग : ऑलिव ग्रीन : की आधुनिक सुरक्षाकर्मियों वाली वर्दी धारण कर रखी थी। उच्चस्तरीय फैसले के बाद मार्शल के लिये जारी ड्रेस कोड के तहत सदन में तैनात मार्शलों को कलगी वाली सफेद पगड़ी और पारंपरिक औपनिवेशिक परिधान की जगह अब गहरे हरे रंग की वर्दी और कैप पहननी होगी। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार पिछले कई दशकों से चल रहे इस ड्रेस कोड में बदलाव की मांग मार्शलों ने ही की थी।

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