लखनऊ। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण लखनऊ पीठ ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। पीठ के इस फैसले से व्हीलचेयर पर 100 फीसदी विकलांग सैनिक को 19 साल से अधिक समय के बाद न्याय मिला है।उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ के गांव बसीखेत के पूर्व नायक हीरा सिंह व्हीलचेयर पर 100 फीसदी विकलांगता के साथ एक मार्च 1999 को सेना की सेवा से सेवानिवृत्त कर दिए गए, लेकिन उनको सेना से विकलांगता पेंशन प्राप्त करने के लिए दर—दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ा।
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हर जगह से निराशा मिलने के बाद पूर्व नायक हीरा सिंह ने बीते अप्रैल माह में 2019 में सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल लखनऊ पीठ में मामला दर्ज करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कर्नल एचएम माहेश्वरी (सेवानिवृत्त) से संपर्क किया।अधिवक्ता कर्नल एचएम माहेश्वरी के उचित पैरवी के कारण सशस्त्र बल न्यायाधिकरण लखनऊ पीठ ने छह माह से कम समय की अवधि में एक ऐतिहासिक निर्णय एएफटी लखनऊ पीठ ने सुनाया है।
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अधिवक्ता कर्नल एचएम माहेश्वरी ने बताया कि अध्यक्ष सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल ने 30 सितंबर 2019 को 100 फीसदी विकलांगता पेंशन और परिचर भत्ता बकाया भत्ते के साथ देने का फैसला सुनाया है। न्यायाधिकरण ने सैन्य अधिकारियों को तीन महीनों के अंदर विकलांग सैनिक को सभी लाभ उसके घर पर सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है।