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धामी सरकार ने लागू की देवभूमि परिवार योजना, जानिए कौन होंगे पात्र, कौन बाहर

CM Dhami

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देहारादून। धामी सरकार (Dhami Government) ने प्रदेश में रहने वाले सभी परिवारों को एक पहचान के दायरे में लाने के लिए देवभूमि परिवार योजना (Devbhoomi Parivar Yojana) शुरू करने का फैसला लिया है। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के हर परिवार को एक यूनिक पहचान प्रदान करना है। साथ ही योजनाओं को सीधे पात्र लोगों तक पहुंचाना है।

देवभूमि परिवार योजना (Devbhoomi Parivar Yojana) के तहत उत्तराखंड में रहने वाले हर परिवार को एक यूनिक फैमिली आईडी प्रदान की जाएगी। इसमें परिवार के सभी सदस्यों का पूरा ब्योरा जैसे- नाम, आयु, पता, शिक्षा, व्यवसाय और अन्य आवश्यक जानकारी दर्ज होगी। यह डेटा राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा।

फैमिली डेटाबेस तैयार किया जाएगा

इस प्रणाली से हर परिवार का एक पूरा फैमिली डेटाबेस तैयार किया जाएगा। यूनिक पहचान संख्या के माध्यम से परिवार आसानी से यह जान सकेंगे कि वे किन योजनाओं के पात्र हैं, किन योजनाओं का लाभ वे पहले ही प्राप्त कर चुके हैं, और कौन-सी नई योजनाएं उनके लिए उपलब्ध हैं।

इस योजना (Devbhoomi Parivar Yojana) से सरकारी योजनाओं के वितरण में पारदर्शिता बढ़ेगी। मध्यस्थों की भूमिका घटेगी और लाभ सीधे पात्र परिवारों तक पहुंचाया जा सकेगा। साथ ही, इससे सरकार को यह समझने में भी मदद मिलेगी कि किन क्षेत्रों या वर्गों को अभी भी योजनाओं के लाभ की आवश्यकता है।

योजना से फायदा

अधिकारियों के मुताबिक, देवभूमि परिवार योजना (Devbhoomi Parivar Yojana) सिर्फ कल्याणकारी योजना नहीं, बल्कि राज्य के डेमोग्राफिक चेंज को संतुलन को बनाए रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। हाल के वर्षों में राज्य में बाहरी आबादी के बसने और संसाधनों के असमान वितरण को लेकर चिंता जताई गई है। इस योजना के तहत बने डाटाबेस से सरकार को राज्य में रहने वाले हर परिवार का सटीक आंकड़ा मिलेगा और पात्र लोगों को सीधा फायदा मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान देवभूमि के रूप में पूरे देश में जानी जाती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही परिवारों तक पारदर्शी तरीके से पहुंचे। साथ ही हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि प्रदेश का सांस्कृतिक स्वरूप सुरक्षित रहे।

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