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संविधान दिवस : पीएम मोदी बोले- संविधान की मर्यादा, गरिमा और नैतिकता के अनुरूप काम करें

संविधान दिवस

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नई दिल्ली। संविधान दिवस के अवसर पर मंगलवार को संसद का संयुक्त सत्र सेंट्रल हॉल में आयोजित किया गया। संयुक्त सत्र जहां राष्ट्रपति रामानथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू मौजूद थे। तो वहीं कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने संविधान दिवस के मौके पर सरकार की तरफ से बुलाए गए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त सत्र का बहिष्कार किया। इसके बाद संसद परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठकर कार्य करें

संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि संविधान-सम्मत प्रक्रियाओं का पालन करने को संवैधानिक नैतिकता का सार-तत्व बताया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि देश में हर प्रकार की परिस्थिति का सामने करने के लिए संविधान सम्मत रास्ते उपलब्ध हैं। इसलिए संविधान की मर्यादा, गरिमा और नैतिकता के अनुरूप काम करें।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम सभी को संवैधानिक मूल्यों, ईमानदारी को अपनाते हुए भय, प्रलोभन, पक्षपात, राग द्वेष एवं भेदभाव से मुक्त रहकर काम करने की आवश्यकता है। ऐसे में संविधान निर्माताओं की भावना को शुद्ध अंत:करण से अपनाना चाहिए। संविधान के अंगीकार के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित लोकसभा एवं राज्यसभा संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति ने संबोधित किया।

मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी पालन करें

संविधान दिवस के मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि आज संविधान में उल्लेखित बातों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विद्यालयों को बच्चों को उनके कर्तव्यों के बारे में अवगत कराना चाहिए। हमारा लक्ष्य ‘रिफॉर्म’,’परफॉर्म’ और ‘ट्रांसफॉर्म’ होना चाहिए। हमें देश की अखंडता और एकता के लिए मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति का उत्थान सबसे पहले होना चाहिए। साथ ही हमें अपने मातृभाषा की इज्जत करनी चाहिए और इसका प्रसार करना चाहिए।

 हमारा संविधान हम सबसे के लिए बड़ा और पवित्र ग्रंथ  : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा संविधान हम सबसे के लिए बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। हमारा संविधान इतना व्यापक इसलिए है, क्योंकि उसने बाहर के प्रकाश के लिए अपने खिड़कियां खुली रखी हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि अपनी गलतियों की वजह से हमने आजादी भी खोई है। इसके अलावा गणतंत्र का चरित्र भी खो दिया था। बाबा साहब ने पूछा था कि हमें आजादी भी मिल गई, गणतंत्र भी हो गए। क्या हम इसे बनाए रख सकते हैं? क्या अतीत से हम सीख ले सकते हैं? बाबा साहब अगर होते तो उनसे अधिक प्रसन्नता शायद ही किसी को होती। भारत ने इतने वर्षों में उनके सवालों का उत्तर दिया और अपने लोकतंत्र को आर समृद्ध किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान की भावना अटल और अडिग रही है। अगर इसके साथ कभी कुछ इस तरह के प्रयास हुए भी हैं तो देशवासियों ने इसे असफल किया है। उन्होंने कहा कि मैं 130 करोड़ भारतीयों के सामने नतमस्तक हूं, जिन्होंने लोकतंत्र के प्रति आस्था को कम नहीं होने दिया । हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दिशा में आगे बढ़ पाए हैं। हमने तमाम सुधार संविधान की मर्यादा में रहकर किए हैं।

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सिर्फ अधिकारों की बात करने से पैदा होगा असंतुलन: ओम बिड़ला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अनुशासन को मौलिक अधिकारों द्वारा प्रदान की गई स्वतंत्रता और शक्तियों के प्रयोग की एक जरूरी शर्त बताया। उन्होंने कहा कि कर्तव्यों से विमुख होकर सिर्फ अधिकारों की बात करने से एक प्रकार का असंतुलन पैदा होगा। संविधान को अंगीकार करने की 70वीं वर्षगांठ पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान ने जहां एक तरफ मौलिक अधिकारों के रूप में हमें पर्याप्त स्वतंत्रता और शक्तियां दी गई हैं, वहीं दूसरी तरफ संतुलन बनाते हुए मौलिक कर्तव्यों का निर्देश करने के लिये अनुशासित भी किया। उन्होंने कहा कि यह अनुशासन मौलिक अधिकारों द्वारा दी गई आजादी और शक्तियों के प्रयोग की एक जरूरी शर्त है।

‘संविधान की हत्या बंद करो’ ,विपक्ष ने संसद के संयुक्त सत्र का किया बहिष्कार

कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को संविधान दिवस के मौके पर सरकार की तरफ से बुलाए गए संयुक्त सत्र का बहिष्कार किया। विपक्षी दलों ने संसद परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र के मुद्दे पर हुए इस विरोध प्रदर्शन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। इन नेताओं ने हाथों में बैनर ले रखा था जिस पर ‘संकट में संविधान’ लिखा था। विपक्षी नेताओं ने ‘संविधान की हत्या बंद करो’ के नारे लगाए।

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