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मुख्यमंत्री योगी पहल लाई रंग, आगरा बनेगा कंद फसलों के नवाचार की वैश्विक राजधानी

cm yogi

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कृषि नवाचार को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) की दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति अब साकार होती दिख रही है। आलू और शकरकंद जैसी कंद फसलों पर विश्वस्तरीय अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (सीएसएआरसी) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया है। मंगलवार को सीआईपी, पेरू के महानिदेशक डॉ. सिमोन हेक के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) से मुलाकात की और परियोजना की प्रगति पर चर्चा की।

प्रतिनिधिमंडल में सीआईपी के कंट्री मैनेजर नीरज शर्मा, रमन अब्रोल, वरिष्ठ सलाहकार, दक्षिण एशिया और आईआरआरआई (आईआरआरआई) के साउथ एशिया प्रमुख सुधांशु सिंह शामिल थे। मुख्यमंत्री योगी ने इस अवसर पर कहा कि जब तक आगरा के सिंगना गांव में केंद्र का निर्माण पूर्ण नहीं होता, तब तक प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों को सीआईपी की तकनीकों से प्रशिक्षित किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि आलू के साथ अन्य कंद फसलों की प्रजातियों पर भी अनुसंधान को प्राथमिकता दी जाए, ताकि उत्पादन बढ़े और निर्यात के अवसर खुलें।

मुख्यमंत्री योगी (CM Yogi) ने कहा कि यह केंद्र प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने, प्रोसेसिंग उद्योग को सशक्त करने और प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय कृषि हब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। वर्ष 2024-25 में 6.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में 244 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ। देश के कुल आलू उत्पादन में 35% हिस्सा यूपी का है। अकेले आगरा जनपद में 76 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। यूपी में आलू का लगभग 40% उत्पादन अन्य राज्यों में विपणन के लिए जाता है। इतनी बड़ी उत्पादन क्षमता के बावजूद गुणवत्तायुक्त बीजों और प्रोसेसिंग योग्य किस्मों की कमी महसूस की जा रही थी। अब सीएसएआरसी इस चुनौती को दूर करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में जून में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में इस केंद्र की स्थापना के लिए 111.50 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। यह केंद्र बीज नवाचार, एपीकल रूटेड कटिंग, जर्मप्लाज्म संरक्षण और वैल्यू चेन विस्तार का वैश्विक मॉडल बनेगा। सीएसएआरसी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और निजी कंपनियों के साथ साझेदारी कर किसानों को विश्वस्तरीय तकनीक और प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा।

सीआईपी की स्थापना 1971 में पेरू में हुई थी और आज यह 20 से अधिक देशों में अनुसंधान कार्य कर रहा है। भारत में सीआईपी को 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस दौरान इसने जलवायु-अनुकूल किस्मों, कीट प्रबंधन और पोषणयुक्त फसलों के विकास में उल्लेखनीय कार्य किया है।सीएसएआरसी की स्थापना से उत्तर प्रदेश वैश्विक बीज और प्रोसेसिंग नेटवर्क में केंद्रीय भूमिका निभाएगा।

बीते 28 जुलाई को भारत सरकार और सीआईपी के बीच एमओए पर हस्ताक्षर हुए। डॉ. सिमोन हेक ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर उनके सहयोग के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि सीएसएआरसी न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि यूपी को दक्षिण एशिया का आलू इनोवेशन हब बना देगा।

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