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CM योगी बने खुशी का सहारा, संघर्षरत परिवार को मिली नई राह

CM Yogi becomes a support for the deaf and dumb 'Khushi'

CM Yogi becomes a support for the deaf and dumb 'Khushi'

लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) से हुई मुलाकात ने कानपुर की 20 वर्षीय मूक-बधिर लड़की खुशी गुप्ता और उसके परिवार के जीवन में ऐसा अविस्मरणीय अध्याय जोड़ा जिसे वे कभी भूल नहीं पाएंगे। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता भर नहीं है, बल्कि मानवीय संवेदना और करुणा का दुर्लभ उदाहरण है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं आगे बढ़कर एक मासूम बच्ची का सहारा बने, उसका दर्द समझा और उसके भविष्य को संवारने का वचन दिया।

मुख्यमंत्री आवास पर जब खुशी अपने हाथों से बनाया हुआ मुख्यमंत्री का चित्र लेकर पहुंची, तो योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने उसे बेहद स्नेहपूर्वक अपने पास बुलाया। उसके बनाए चित्रों को मुख्यमंत्री ने बड़े ध्यान से देखा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी चित्र शामिल रहा। खुशी के माता-पिता ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) के इतने निकट जाकर उनसे मिलेंगे। वे भावुक होकर बताते हैं कि वह अनुभव शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। यह वह क्षण था जब एक बच्ची की मुख्यमंत्री के प्रति निश्छल भावना और मुख्यमंत्री की संवेदना एक हो गई। मुख्यमंत्री ने खुशी के परिवार जनों से बातचीत कर उनके बारे में जाना।

कानपुर के ग्वालटोली अहरानी निवासी खुशी अपने पिता कल्लू गुप्ता, माता गीता गुप्ता और भाई जगत गुप्ता के साथ 26 नवंबर को लखनऊ पहुंची। आर्थिक सीमाओं से जूझ रहा यह परिवार बेहद सरल और संघर्षपूर्ण जीवन जीता रहा है। पिता कल्लू गुप्ता पहले संविदा पर गार्ड की नौकरी करते थे, जो अब छूट चुकी है। माँ गीता गुप्ता घरों में काम करके परिवार का खर्च उठाती हैं। इसी परिस्थिति के बीच खुशी का स्नेह अपने मुख्यमंत्री की ओर बना रहा।

घटना की शुरुआत 22 नवंबर को हुई थी खुशी बिना बताए अकेली घर से निकल पड़ी। उसका उद्देश्य था अपने मुख्यमंत्री (CM Yogi) को वह चित्र देना जिसे उसने स्वयं बनाया था। खुशी को चित्र बनाने का शौक है। वह कानपुर स्थित अपने घर से पैदल निकली। उसके पिता ने बताया कि वह न जाने कैसे लखनऊ पहुंची। वहां पहुंचने के बाद वह रास्ता भटक गई। मुख्यमंत्री से मिल पाने में असमर्थ होने पर खुशी लोकभवन के बाहर बैठकर रोने लगी। हजरतगंज पुलिस ने उसे संभाला। पुलिस की ओर से खुशी के परिवार को उसकी सूचना दी। हालांकि खुशी को घर में न देखकर उसके पिता ने अपने स्थानीय थाने में उसके मिसिंग की शिकायत दे दी थी। खुशी पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन वह अपने पिता का नाम उनका मोबाइल नंबर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिख लेती है।

जब मुख्यमंत्री को खुशी की यह कहानी पता चली तो उन्होंने इसका संज्ञान लेते हुए तुरंत उसके परिवार को अपने आवास पर बुलाने के निर्देश दिए। योगी आदित्यनाथ ने उसके लिए कानपुर स्थित मूकबधिर कॉलेज में शिक्षा की व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया। साथ ही उसकी पढ़ाई और स्किल डेवलपमेंट में सहायक मोबाइल और टैबलेट भी उपलब्ध कराया गया। राज्य सरकार की ओर से खुशी के कान के इलाज की भी व्यवस्था की जा रही है। खुशी के परिवार के लिए आवास की व्यवस्था का भी आश्वासन प्रदेश सरकार की ओर से दिया गया है। सरकार द्वारा प्राप्त सहायता और सहायता के आश्वासन से पूरा परिवार प्रसन्नता से भर गया है।

इस पूरी घटना में केंद्र बिंदु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) का वह स्नेह रहा जिसने इस परिवार को सम्मान, सुरक्षा और भविष्य की नई दिशा का एहसास कराया। उनके इस व्यवहार ने यह स्पष्ट किया कि सरकार केवल प्रशासनिक संस्थान नहीं बल्कि संवेदना और सीमातीत मानवीयता का आधार है।

खुशी ने अपने सरल विश्वास से यह दिखाया कि प्रेम और सम्मान की भावना किसी बाधा में नहीं फंसती और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने अपनी संवेदना और व्यवहार से यह स्थापित किया कि, जनता और शासन के बीच संबंध केवल औपचारिक नहीं बल्कि आत्मीय हो सकता है। यह कहानी उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक संवेदनशील प्रशासन की मिसाल के रूप में याद रखी जाएगी।

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