Site icon News Ganj

छठ महापर्व : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट पहुंचे व्रती

Chhath mahaparva

Chhath mahaparva

नई दिल्ली। छठ महापर्व (Chhath mahaparva) के तीसरे दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य व प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर व्रतधारियों ने छठ मईया को याद किया।

पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी-पश्चिमी दिल्ली, बाहरी दिल्ली व पूर्वी दिल्ली में रहने वाले अधिकतर छठव्रतधारियों ने अपने घरों की छतों व बालकनियों में ही टब में पानी भरकर अर्घ्य दिया। सरकारी गाइडलाइंस के चलते राजधानी के लगभग 90 प्रतिशत छठ घाट सहित यमुना नदी के किनारे भी लोगों ने एकत्र ना होकर अपने घरों में ही रहकर छठ पर्व को मनाया।

छठ गीतों की ध्वनि सुनाई

लोगों के घरों से भोजपूरी की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी, कल्पना, देवी सहित अनुराधा पौडवाल द्वारा गाए गए पारंपरिक छठ गीतों की ध्वनि सुनाई दी। जिसमें ‘केरवा के पात पर उगेलें सुरूज देव झांके-झुंके’, ‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय’ व ‘पहिले-पहिले छठी हम कईनी छठी मईया व्रत तौहार’ जैसे गीत खूब सुनने को मिले। वहीं डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए लोगों ने बांस की की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामान को सजाया हुआ था। वहीं सूर्यास्त से ठीक पहले सूर्यदेव व प्रत्यूषा की पूजा कर डूबते सूरज को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की। वहीं व्रतधारियों ने अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए घर जाकर पूजा स्थल पर कोसी भरकर रातभर जलने वाला अखंड दिया जलाया।

सलमान की फिल्म ‘राधे’ इन दिन हो सकती है रिलीज

जाने क्यों देते हैं डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य?

शास्त्रों के अनुसार शाम के समय भगवान सूर्य व उनकी पत्नी प्रत्यूषा (सूर्य की आखिरी किरण प्रत्यूषा) एक साथ रहते हैं जिसके चलते शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य देने पर प्रत्यूषा का आशीष भी प्राप्त होता है। जहां डूबते सूर्य की उपासना व अर्घ्य देने से जीवन में तेज रहता है और यश, धन व अन्य सुख संपदाएं प्राप्त होती है वहीं कई मुसीबतों से छुटकारा मिलता है और सेहत भी ठीक रहती है।

शनिवार को व्रतधारी देंगे उगते सूर्य को अर्घ्य

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी यानि शनिवार को सुबह साढे 5 बजे के लगभग सूर्योदय का समय बताया जा रहा है। इसदिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार व्रतधारी महिला के पति को भी उस दिन उनका पैर छूना चाहिए क्योंकि उस समय व्रत करने वाले में छठी मईया साक्षात विराजमान रहती हैं। उनके आशीष से जीवन में संपन्नता आती है।

Exit mobile version