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बिहार में नहीं होगा लागू नागरिक संशोधन कानून, बीजेपी को नीतीश ने दिया बड़ा झटका

नागरिक संशोधन कानून

नागरिक संशोधन कानून

पटना। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने रविवार को साफ़ किया कि फ़िलहाल बिहार में एनआरसी लागू नहीं किया जायेगा। नीतीश कुमार का ये क़दम नागरिक संशोधन क़ानून पर उनके पार्टी के समर्थन के स्टैंड के बाद पार्टी के अंदर और देश में हर जगह हो रहे विरोध के मद्देनज़र डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यूं तो नागरिक संशोधन बिल पर भी विरोध का स्टैंड लिया था, लेकिन लोकसभा में पार्टी के नेता ललन सिंह ने उतर पूर्व राज्यों के इकाई के नेताओं से बातचीत कर समर्थन का स्टैंड लिया था। फ़िलहाल ये क़ानून बन चुका है।

जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की दो घंटे तक चली बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार पार्टी के पहले वाले रुख के साथ हैं कि वह एनआरसी का समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि एनआरसी और कैब खतरनाक हैं। यदि एनआरसी नहीं है तो कैब ठीक है। मुख्यमंत्री का कहना है कि कैब नागरिकता देने के लिए है, लेकिन यदि इसे एनआरसी से जोड़ा जाएगा तो यह भेदभावपूर्ण बन जाएगा। किशोर लगातार अपने ट्वीट के जरिए कैब और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं।

नीतीश प्रशांत किशोर की मुलाकात के बाद जदयू के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि पार्टी एनआरसी पर सरकार को समर्थन नहीं करेगी। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में त्यागी ने कहा, पूरी पार्टी एनआरसी को समर्थन न करने के नीतीश कुमार के फैसले के साथ है। हम पहले भी बहुत कुछ कह चुके हैं लेकिन कैब पर हमारे समर्थन से गलतफहमी की स्थिति पैदा हो गई थी। नीतीश और किशोर की मुलाकात के बाद पार्टी का एनआरसी पर रुख साफ हो गया है।

प्रशांत किशोर का शाह पर हमला

वहीं प्रशांत किशोर ने रविवार को ट्वीट किया कि एनआरसी का विचार नागरिकता के नोटबंदी की तरह से है। यह तब तक अवैध है जब तक कि आप इसे साबित नहीं कर देते हैं। इसके सबसे ज्यादा शिकार वे लोग होंगे जो अधिकारविहिन और गरीब हैं। हम अनुभव से यह जानते हैं। मैं पीछे नहीं हट रहा।’ वहीं केंद्रीय मेंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि एनआरसी को बिहार और पश्चिम बंगाल समेत देशभर में लागू किया जाना चाहिए।

जदयू के कैब को समर्थन करने से निराश : प्रशांत किशोर

किशोर का कहना है कि कैब को लेकर उनके निजी रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने 13 दिसंबर को ट्वीट कर लिखा था, ‘संसद में बहुमत कायम रहा। अब न्यायपालिका से परे, भारत की आत्मा को बचाने का काम 16 गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों पर है क्योंकि यह ऐसे राज्य हैं जिन्हें इन कार्यों का संचालन करना है।’

इससे एक दिन पहले उन्होंने लिखा था, ‘हमें बताया गया था कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 नागरिकता प्रधान करने के लिए और यह किसी से भी उसकी नागरिकता को वापस नहीं लेगा। लेकिन सच यह है कि यह नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस के साथ मिलकर सरकार के हाथ में एक हथियार दे देगा। जिससे वह धर्म के धार पर लोगों के साथ भेदभाव कर और यहां तक कि उनपर मुकदमा चला सकती है।’

प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से नीतीश ने बनाई दूरी

नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से दूरी बना ली। शनिवार को उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में उनका पहुंचना तय था, उनके स्वागत के पोस्टर तक लग चुके थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया। जिसके कारण उनके स्थान पर राज्य के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शिरकत की। यह कार्यक्रम नमामि गंगे के बड़ी परियोजना और समीक्षा को लेकर कानपुर में आयोजित किया गया था।

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