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वित्त मंत्रालय का बड़ा फैसला, कोरोनाकाल में सरकारी खर्च पर लगा प्रतिबंध हटाया

नई दिल्ली। कोरोनाकाल में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के खर्च पर लगे प्रतिबंध को सरकार ने हटा लिया है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि राजस्व में वृद्धि व आर्थिक स्थितियों में सुधार को देखते हुए यह फैसला किया गया है। मंत्रालय और विभाग अब चालू वित्तवर्ष की शेष अवधि में बजट प्रस्ताव के मुताबिक राशि खर्च कर सकेंगे।
वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले आर्थिक मामलात विभाग ने ज्ञापन जारी कर बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच 30 जून को जारी आदेश को तत्काल प्रभाव से हटा लिया गया है। इसमें जुलाई-सितंबर तिमाही में बजट आकलन की सिर्फ 20 फीसदी राशि खर्च करने की अनुमति थी। प्रतिबंध खत्म होने के बाद विभाग और मंत्रालय अब शेष अवधि में अपने मासिक अथवा तिमाही खर्च के अनुसार राशि का इस्तेमाल कर सकेंगे। हालांकि, 200 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च मामलों में 21 अगस्त, 2017 को जारी गाइडलाइन का पालन करना होगा। ज्ञापन में कहा गया है कि खर्च में किसी भी तरह के बदलाव के लिए व्यय विभाग से पूर्व अनुमति लेना जरूरी होगा।

अर्थव्यवस्था सतत सुधार की ओर- वित्तमंत्री 
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर दावा किया जीएसटी और प्रत्यक्ष कर में तेजी से इजाफा हो रहा है। इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि अर्थव्यवस्था अब सतत सुधार के पथ पर है। उन्होंने कहा, मैं सुधार के संकेतों को साफ देख रही हूं। अगर ऐसा नहीं होता तो जीएसटी और प्रत्यक्ष कर वसूली वहां नहीं पहुंचती, जहां अभी है। कर वसूली का छमाही लक्ष्य हमने हासिल कर लिया है। जीएसटी की औसत मासिक वसूली 1.11 लाख करोड़ के आसपास है, जो वास्तव में 1.15 लाख करोड़ हर महीने पहुंचने का दम रखती है। यह कोई छोटे संकेत नहीं हैं और न ही छुटपुट सुधार की बात है। यह अर्थव्यवस्था के सतत विकास की ओर लौटने का स्पष्ट संकेत दे रही है।

खुदरा निवेशकों का बढ़ा भरोसा
वित्तमंत्री ने कहा कि शेयर बाजार बेहद पारदर्शी तरीके से काम कर रहा है और खुदरा निवेशकों का भरोसा इसमें बढ़ा है। पहले खुदरा निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिये यहां पैसे लगाते थे, जो अब डीमैट खाते खोलकर खुद ही निवेश कर रहे हैं। कंपनियों के सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया काफी पारदर्शी हुई है, जिससे छोटे निवेशक भी बड़ी रिटर्न हासिल कर रहे हैं।

प्रत्यक्ष कर वसूली 74 प्रतिशत बढ़कर 5.70 लाख करोड़
चालू वित्तवर्ष के शुरुआती छह महीनों में ही प्रत्यक्ष कर वसूली 74 फीसदी बढ़कर 5.70 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि एक अप्रैल से 22 सितंबर तक कुल 5,70,568 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष कर वसूली हुई। यह राशि कॉरपोरेट और व्यक्तिगत करदाताओं को रिफंड जारी करने बाद की है। इस दौरान कॉरपोरेट करदाताओं को 3.02 लाख करोड़ और व्यक्तिगत करदाताओं को 2.67 लाख करोड़ का रिफंड जारी किया गया।

राहत की बात ये है कि कर वसूली कोविड पूर्व स्तर (2019-20 की समान अवधि) से भी 27 फीसदी ज्यादा रही। तब 4.48 लाख करोड़ जुटाए थे, जबकि पिछले साल महामारी के दबाव में महज 3.27 लाख करोड़ की वसूली हुई थी।

विनिवेश से बढ़ेगा रोजगार
वित्त राज्यमंत्री भागवत के कराड ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश से उनकी आय बढ़ाने और रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी। अभी सरकारी कंपनियों में कुल 14 लाख लोग नौकरी कर रहे हैं। विनिवेश का मतलब यह कतई नहीं कि कंपनी घाटे में चल रही, बल्कि इसके जरिये सरकार आय और रोजगार बढ़ाने के रास्ते तलाश रही है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना से 6 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य है, जिसका इस्तेमाल आर्थिक वृद्धि में किया जाएगा।

बाजार मूल्य की डेढ़ गुना कीमत पर तय होगी निर्यातकों की छूट
वित्त मंत्रालय ने निर्यात किए उत्पादों पर शुल्क एवं कर छूट (रोडटेप) योजना के तहत शुल्क छूट का फॉर्मूला तय कर दिया है। मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी नोटिफिकेशन में बताया कि शुल्क छूट की गणना किसी उत्पाद के निर्यात ढुलाई भाड़ा या उसके बाजार मूल्य की डेढ़ गुना कीमत (दोनों में जो भी कम हो) पर तय किया जाएगा।

मंत्रालय ने अगस्त में 8,555 उत्पादों को रोडटेप में शामिल किया था। इसके तहत प्रसंस्करण या विनिर्माण में इस्तेमाल उत्पादों पर लगे टैक्स, शुल्क या अन्य चार्ज में इस शर्त पर छूट दी जाएगी कि इन पर अन्य किसी योजना के तहत छूट न मिली हो। सरकार ने योजना के तहत 12,454 करोड़ की राशि आंवटित की है।

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