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बाबरी एक्शन कमेटी की बैठक में अयोध्या मामले में आगे की रणनीति पर होगी चर्चा

बाबरी एक्शन कमेटी की बैठक

बाबरी एक्शन कमेटी की बैठक

लखनऊ। अयोध्या में श्रीराम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब बाबरी एक्शन कमेटी अगले कदम पर विचार करेगी। बीते नौ नवंबर को कोर्ट का फैसला आने के बाद शनिवार को लखनऊ के इस्लामिया कॉलेज में बाबरी एक्शन कमेटी की बैठक होगी।

इस बैठक में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील तथा बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी के साथ ही अयोध्या से हाजी महबूब भी मौजूद रहेंगे। बैठक में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी अयोध्या मामले पर आगे की रणनीति को लेकर चर्चा हो सकती है। फैसला आने के बाद आज बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी पहली बार लखनऊ पहुंचे हैं।

जिलानी को फैसले पर जताया था एतराज

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जिलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है और हाई कोर्ट ने भी कहा है 22/23 दिसंबर की रात जो मूर्तियां रखी गईं वह गलत थीं और गैरकानूनी थीं। हाई कोर्ट ने उसको बुनियाद बनाकर सूट नंबर 5 के प्लैंटिफ नंबर 1 भगवान श्री रामलला को डिइटी नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने उसी डिइटी को प्लेंटिफ नंबर 1 को यह तो माना कि 1949 में यह मूर्तियां गलत रखी गईं ,लेकिन उसके बाद भी प्लेंटिफ नंबर 1 को सूट डिक्री कर वह जमीन दे दी जो मस्जिद की जमीन है।

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कोर्ट फैसले पर अपनी नाराजगी बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारा पहला ऐतराज यह है कि अगर वह डिइटी जो हो ही नहीं सकती है। हिंदू लॉ के तहत, यह पूरी तरह लीगल सवाल है जिसको हम सुप्रीम कोर्ट के सामने ले जाना चाहते हैं।

अपना दूसरा तर्क पेश करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है और हाई कोर्ट ने भी माना था कि मुसलमानों के एविडेंस कम से कम 1857 के बाद से 1949 तक उस मस्जिद को यूज करने की और उस मस्जिद में नमाज पढऩे की है। करीब इसको 90 वर्ष होते हैं, अगर 90 साल तक हमने किसी मस्जिद में नमाज पढ़ी है तो उस मस्जिद की जमीन हमारी मस्जिद को न देकर मंदिर को देने का क्या जवाज है यह हमारी समझ से बाहर है। हम सुप्रीम कोर्ट में इस पर भी जाना चाहते हैं।

हाजी अफजल अंसारी ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया था स्वागत

इससे पहले बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के लखनऊ शहर संयोजक हाजी अफजल अंसारी ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम में आपसी भाईचारे का संदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट के फैसले की तारीफ करते हुए इसे एक अच्छा फैसला बताया था और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन दिए जाने के कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था।

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