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आनंदी बने पटेल बोली विद्यार्थी देश और समाज की सेवा का संकल्प लें

आनंदी बने पटेल बोली विद्यार्थी देश और समाज की सेवा का संकल्प लें

आनंदी बने पटेल बोली विद्यार्थी देश और समाज की सेवा का संकल्प लें

राज्यपाल  श्रीमती आनंदी बने पटेल ने कहा कि आज उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों के जीवन का एक चरण पूरा हो गया है, परन्तु व्यावहारिक जीवन की चुनौतियों  के मद्देनजर  वे जातिगत, सम्प्रदायगत, भाषाई और अन्य प्रकार के भेदभावों से ऊपर उठकर एक आदर्श भारतीय नागरिक के रूप में देश और समाज की सेवा का संकल्प लें और देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की गौरव-गरिमा के पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांरतण में अपनी  सुयोग्य भूमिका  निभाएं। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल गुरुवार को  उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के 15वें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित  कर रही थीं।

उन्होंने   कहा कि राष्ट्र तथा समाज के लक्ष्यों की प्राप्ति का सबसे महत्वपूर्ण साधन शिक्षा है। शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण भी आवश्यक है, इसके लिए परिवार एवं शिक्षकों की भूमिका बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित नहीं होना चाहिए। अध्यापक गांव में जाकर अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों एवं वहां की व्यवस्थाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में मुख्यत: गरीब परिवार के बच्चे पढ़ते है। विश्वविद्यालयों एवं कालेजों तथा अन्य संस्थाओं को आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेने के लिए आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए।

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श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कहा कि दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए भी सभी लोगो को आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए तथा दहेज के कारण समाज में होने वाली घटनाओं तथा उसके परिणामों के बारे में लोगो को जागरूक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के 50 प्रतिशत शैक्षिक सूचकांक को प्राप्त करना है तो प्राथमिक शिक्षा का स्तर उठाने के साथ ही साथ नामांकन अनुपात को भी बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्होंने 5 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने का आह्वान ा किया। राज्यपाल ने बच्चों को स्कूल जाने हेतु प्रेरित करने के लिए छोटे स्कूली बच्चों को बैग एवं पुस्तकों का वितरण अपने हाथ से किया।

श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वर्तमान युग दूरस्थ शिक्षा का है और इसका क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। औपचारिक शिक्षा की तुलना में यह ज्यादा व्यावहारिक, महत्वपूर्ण तथा सार्थक होती जा रही है। कोविड काल में इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।
15वें दीक्षान्त समारोह में विभिन्न विद्या शाखाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले शिक्षार्थियों को 19 स्वर्ण पदक प्रदान किये गए, जिनमें 5 स्वर्ण पदक छात्रों तथा 14 स्वर्णपदक छात्राओं की झोली में आए। दीक्षान्त समारोह में सत्र दिसम्बर 2019 तथा जून 2020 की परीक्षा के सापेक्ष उत्तीर्ण लगभग 28659 हजार शिक्षार्थियों को उपाधि प्रदान की गई, जिसमें 15492 पुरूष तथा 13167 महिला शिक्षार्थी रहे। इस अवसर पर राज्यपाल ने बच्चों को स्कूल जाने हेतु प्रेरित करने के लिए बैग एवं पुस्तकों का वितरण अपने हाथ से किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि मुकुल कानितकर, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.  कामेश्वर नाथ सिंह सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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इसके बाद एक अन्य कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के नवनिर्मित विजयनगरम हाल का उद्घाटन भी किया।

प्राथमिक विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण
प्रयागराज। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज प्रयागराज के कटरा स्थित बख्तियारी प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र में डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आंगनबाड़ी केन्द्रों को सुविधा सम्पन्न करने हेतु आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। राज्यपाल द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र से सम्बंधित आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया गया।
राज्यपाल ने गर्भवती महिलाओं की गोद भराई कराई और उन्हें अच्छे से खानपान, सरकारी अस्पताल में ही डिलीवरी कराने, स्वच्छता का विशेष ख्याल रखने आदि की सीख दी तथा गर्भवती महिलाओं को पोषण किट का वितरण किया। इसके अलावा अलिस्फा फातिमा का अन्नप्राशन कराया। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 3 से 6 साल के बच्चें आते है, इसलिए इन केन्द्रों पर बच्चों के खेलने के लिए खिलौने एवं उनकी उपयोग की वस्तुएं होनी चाहिए, जिससे कि बच्चों का मन भी लगे और उनकी देखभाल के साथ-साथ उनको उचित पोषण भी मिलना चाहिए।

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