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विंध्यवासिनी के दर्शन कर निकल गए अखिलेश

Akhilesh Yadav in vindhyachal

Akhilesh Yadav in vindhyachal

मिर्जापुर। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में जुटे सपा के राष्टीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  इन दिनों मंदिरों के चक्कर तो खूब लगा रहे हैं, लेकिन दरगाह में जाने से बचते नजर आ रहे हैं। सपा सुप्रीमो की इस बदली हुई सियासी रणनीति का इशारा तब मिला जब वह मिर्जापुर दौरे के दौरान मां विंध्यवासिनी के दर्शन किए, लेकिन कंतित शरीफ दरगाह में बगैर माथा टेके ही बगल से निकल गए।

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तीन दिवसीय मंडलीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मिर्जापुर पहुंचे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने विंध्याचल धाम में विधिवत दर्शन-पूजन किया, लेकिन कंतित दरगाह के बगल से निकल गए। उन्होंने दरगाह पर चादर चढ़ाना जरूरी नहीं समझा, जबकि मजार पर दो दिन से तमाम प्रशंसक बुके, फूल और चादर के साथ उनका इंतजार कर रहे थे।

अखिलेश (Akhilesh Yadav) के दरगाह नहीं जाने पर उदास हुए प्रशंसक, कहा-‘एक सीट नहीं जीत पाएंगे अखिलेश

अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) के हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्ला अलैह के दरगाह पर नहीं जाने पर मुजावर समेत तमाम लोगों ने इसे दुर्भाग्य बताया। उन्होंने कहा कि हम लोगों का दुर्भाग्य नहीं है कि वह यहां नहीं आये, दुर्भाग्य उनका है जो कंतित शरीफ जैसे पवित्र दरगाह पर मत्था टेकने नहीं पहुंचे, जिले में कोई सीट नहीं जीत पाएंगे।

दरगाह पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की तैयारी में फूल, बुके, दरगाह पर चढ़ाने के लिए चादर रखकर स्थानीय लोग सपा सुप्रीमो का इंतजार कर रहे थे। बकायदा दरगाह को इस दौरान सजाया भी गया था, लेकिन अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) दरगाह पर नहीं पहुंचे। उनके दरगाह पर नहीं पहुचने से मुस्लिम समाज के लोग निराश दिखे। क्षेत्रीय लोगों ने कहा कि मंदिर के बाद दरगाह पर चादर पोशी करना कोई नेता नहीं भूलता। इससे पहले कांग्रेस पार्टी से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी यहां आ चुके हैं।

अखिलेश ने मां विन्ध्वासिनी और अड़गड़ानंद महाराज का किया दर्शन

दो दिवसीय दौरे के दौरान सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मां विन्ध्वासिनी और अड़गड़ानंद महाराज का दर्शन कर 2022 में सरकार बनाने का आर्शीवाद लिया। कंतित शरीफ पर नहीं पहुंचने पर स्थानीय अख्तर ने तंज कसते हुए कहा कि हम लोगों का दुर्भाग्य नहीं है कि वह यहां नहीं आये। दुर्भाग्य उनका है जो कंतित शरीफ जैसे पवित्र दरगाह पर मत्था टेकने नहीं पहुचे।  उन्होंने बताया कि यहां पर इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, अखिलेश यादव के परिवार और खुद अखिलेश यादव ने 1999 में माथा टेक चुके हैं। अख्तर ने कहा कि मिर्जापुर जिले में बहुत मुश्किल है कि उनके पार्टी का कोई सीट जीत पाए।

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