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अखिलेश इतने ही काबिल थे तो जनता ने क्यों किया खारिज : सिद्धार्थनाथ

Siddharth Nath

Siddharth Nath

‘‘सुबह से मेरी हंसी रुक नहीं रही है। दरअसल अंग्रेजी के एक अखबार में मैंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पक्ष में उनके दल के किसी अनाम नेता के हवाले से छपा एक विज्ञापन देखा। इसमें कानून-व्यस्था, स्वास्थ्य, तकनीक, विद्यार्थियों, बुजुर्गों और आम आदमी के लिए किए गए उन तमाम कामों की क्रेडिट अखिलेश को दी गई है जो बतौर मुख्यमंत्री कभी उनकी प्राथमिकता में थे ही नहीं। मुझे हंसी उनके अहम, वहम, सफेद झूठ और बेशर्मी पर आ रही है। क्या कोई इस हद तक झूठ बोल सकता है?’’

ये बातें उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह (Siddharth Nath) ने सोमवार को जारी एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि अखिलेश को यह भी बताना चाहिए कि वह इतने ही काबिल और कर्मठ थे तो 2014 में जनता ने उनको क्यों ‘दूध की मक्खी’ की तरह से निकाल कर बाहर फेंक दिया। उसके बाद से देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के चुनाव से लेकर पंचायत के चुनावों तक क्यों खारिज करती आ रही है।

सिद्धार्थनाथ ने सपा मुखिया से सवाल किया, ‘‘अखिलेश जी अब ये भी बता दें कि आपने अपने कार्यकाल में किया क्या ?’’ योगी के मंत्री का कहना है कि अखिलेश को जवाब देने में भले हिचक हो लेकिन जनता को तो सब कुछ पता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश के कार्यकाल में सत्ता पोषित तुष्टीकरण की राष्ट्रघाती राजनीति हुई। 2005 में वाराणसी में बम आतंकियों ने बम धमाके के किए जिसमें 25 निर्दोष लोगों की जान गई थी। वलीउल्लाह और शमीम इसके आरोपी थे। इनके मुकदमे वापस लेने के लिए सपा सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उस समय माननीय जजों ने याचिका खारिज करते हुए बेहद तल्ख टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि आज आप उनके खिलाफ मुकदमें वापस ले रहे हैं। कल क्या उनको पद्मविभूषण से भी नवाजेंगे?

कैबिनेट मंत्री ने आगे कहा, ‘‘यही नहीं आपने (अखिलेश) अपने समय में अपराधियों और माफियाओं की भी रहनुमाई की। अपने क्षुद्र राजनीतिक हित के लिए समाज को हर संभव (जाति, मजहब, क्षेत्र) खाने में बांटने का काम किया। पारदर्शिता की तो ऐसी-तैसी कर दी। नोकरियों का आधार मेरिट नहीं पैसा, पैरवी, जाति और क्षेत्र थी। विकास के पैसे का अपने अपने घर-परिवार और परिजनों में बंदरबांट किया। रेवड़ी की तरह पार्टी के प्रमुख पदों को खानदान में बांटकर समाजवाद की नई परिभाषा रची। खुद को पार्टी में सर्वोपरि साबित करने के लिए आपने पिता और चाचा तक का अपमान किया। यह सब आपको भले न याद हो, पर जनता को सब याद है। आपके और आपकी पार्टी के झूठ फैलाने से कुछ होने वाला नहीं।’’

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