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आम आदमी अपना पेट पालने का संघर्ष कर रहा, उसे पेगासस की शायद ही कोई परवाह- SC पूर्व जज

देश में पेगासस स्पाइवेयर विवाद को लेकर बवाल मचा हुआ है, इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रह चुके मार्कण्डेय काटजू ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने लिखा-  इस केस की यथार्थवादी ऐंगल से भी जांच की जानी चाहिए। पेगासस मुद्दा भारत में आम आदमी को शायद ही प्रभावित करता है। आम आदमी का मुद्दा- बेरोजगारी, स्वास्थ्य, महंगाई, कृषि संकट, बाल कुपोषण का भयावह स्तर, शिक्षा आदि है।

सच तो यह है कि भारत में आम आदमी अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहा है और उसे पेगासस की शायद ही कोई परवाह है। काटजू ने लिखा- कुछ लोगों की राय है कि पेगासस केस का अर्थ भारत में लोकतंत्र खत्म होने से है लेकिन भारतीय लोकतंत्र बड़े पैमाने पर जातीय और सांप्रदायिक वोट बैंक था।

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सीजेआई ने कहा कि कोर्ट अगले हफ्ते मामले की सुनवाई करेगा।  वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि सुनवाई मंगलवार या बुधवार को नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वो दूसरे मामलों में व्यस्त हैं।  इस पर सीजेआई ने कहा कि वो मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट करते समय इसे ध्यान में रखेंगे. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शीर्ष अदालत के एक मौजूदा या रिटायर जज की अध्यक्षता में जांच की मांग की गई है।  ताकि सरकार की तरफ से इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी करने की रिपोर्ट की जांच की जा सके।

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